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Specifications

Print Length

286 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2011

ISBN

8173151342

Weight

285 Gram

Description

देवकी की आँखों में कृतज्ञता के आँसू थे | उसने शबनम से कहा- ' बहिन, आपका जस कभी नहीं भूलूँगी | '
शबनम बोली-' दीदी, इसमें जस किस बात का? हम लोगों ने थोड़ा - सा फर्ज अदा किया तो कौन- सा बड़ा काम किया?'
' हम लोगों के लिए नवाब साहब ने अपने आपको संकट में डाल लिया है | '
' वाह! वाह! यह सब कुछ नहीं है | हम लोग आपस में एक दूसरे की मदद न करेंगे तो -क्या बाहरवाले मदद करने आएँगे ''
' अगर मैं किसी तरह अपने अब्बाजान पास पहुँच पाती तो उनके हाथ जोड़ती विलायतियो का साथ छोड़‌िए और हिदुस्तान‌ियों को अपना समझिए | '
‘प्यारी बहिन आप किसी और आफत में न पड़ जाना, नवाब साहब तो हम थोड़े-से हिंदुओं के लिए पूरी जोखिम सिर पर ले ही चुके हैं | '
' आप बार-बार यह क्यों कहती हैं? ' थोड़ी देर के लिए मान लीजिए कि हम लोग किसी ऐसी जगह होते जहाँ हिंदुओं की बहुतायत होती और थोड़े से हिंदुओं ने शरारत की होती और हम लोग उनके बीच में फँस जाते तो आप क्या हाथ पर - हाथ धरे बैठी रहतीं ? राजा साहब क्या किनारा खींच जाते ? ''
- इसी उपन्यास से
दिल्ली के लिए हिंदू, मुसलमान दंगे कई नई बात नहीं है फिर भी ऐसे अनेक उदाहरण मौजूद हैं जब हिंदू मुसलमान ने अपनी जान देकर भी दूसरे की जान बचाई | ऐसी ही तो इतिहास -प्रसिद्ध घटना को वर्माजी न इस उपन्यास में प्रस्तुत किया है |


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