$12.68
Genre
Print Length
215 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
9788177211641
Weight
405 Gram
डीकरा! तुम्हारे सिर पर गांधी की टोपी है, इसलिए तू कैसा भी हो, बेईमान नहीं हो सकता|’ ’ इससे पूर्व कि मैं उससे कुछ कहूँ, वह जा चुकी थी| उसके गहनों का थैला मेरे हाथ में अटका हुआ था| कुछ क्षणों पूर्व घायल बहनों के हाथों में झंडे देखे थे| गिरते- पड़ते भी उनके मुँह से 'भारतमाता की जय’ के स्वर फूट रहे थे| लाठियाँ खाने के बावजूद जुलूस आगे जा चुका था| और अभी-अभी वह महिला मुझे बेईमान न होने का सबक सिखाकर जा चुकी थी| गांधी पर भाषण देना और गांधीजी को इस रूप में देखना बड़ा ही अद्भुतअनुभव था| जीवन में पहली बार समझा कि गांधी क्या है? गांधी भावराज्य के तंतुओं का एक मकडज़ाल है, जो व्यक्ति के मन को बाँधता है| जो भी एक बार इस परिधि में आ जाता है, उसका निकल पाना कठिन हो जाता है| गांधी मानव के मन की उस सीमा तक पहुँच गया था, जो ईमानदारी को गांधी टोपी जैसे प्रतीक से जोड़ रहा था|
(इसी उपन्यास से)
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