$7.78
Genre
Print Length
160 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789382898405
Weight
260 Gram
‘हाय, नीतू! कैसी है?’ उसकी बचपन की सहेली, मीनाक्षी का फोन था| ‘अच्छी हूँ, मीनाक्षी| तू बता, इस समय कैसे फोन किया?’ ‘बस, तेरी याद आई, और फोन मिला दिया !’ ‘यहाँ शाम के आठ बजे हैं, यानी इस समय वहाँ सुबह के साढ़े छह बज रहे होंगे| तू कहना चाहती है कि आज इतनी सुबह तुझे मेरी याद आ रही थी?’ इस बार नीतू हँस पड़ी थी! ‘उँह! तुझसे तो बात करना ही बेकार है| ले अपने भैया से बात कर|’ ‘कैसी है नीतू?’ विजय भैया की आवाज हमेशा ही उसे खुशी देती थी| खुश न हो, तब भी उसे आवाज से खुश दिखना होता था| वह कहीं आवाज के जरिए उसके दर्द में न झाँक लें! ‘अच्छी हूँ, भैया| आप सुनाइए, ऐसी कौन सी खबर है, जो आप लोगों ने इस समय फोन किया?’ ‘हम्म! बड़ी सयानी है, तू!’ नीतू फीकी सी हँसी हँस दी थी| ‘खबर यह है कि अभी-अभी ओम का फोन आया था| भारद्वाज आंटी की डेथ हो गई|’ -इसी पुस्तक से बीते जीवन की स्मृतियाँ ही मानव की सबसे बड़ी धरोहर होती हैं| अपनी खुशनुमा स्मृतियों में व्यक्ति विकट वर्तमान को भी भूल जाता है| स्मृतियों के ऐसे ही तानों-बानों से बुना है मर्मस्पर्शी उपन्यास ‘स्मृतियाँ’|
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