$13.81
Genre
Print Length
248 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
9789350480298
Weight
410 Gram
बंगलौर में एम.आर. हिल्स के पास विदेश से लौटे प्रवासी भारतीय डॉ.अंशुल हायरमैथ ने अपना शोध केंद्र स्थापित किया था, ताकि वह नए गर्भनिरोधक टीके के प्रभाव के बारे में परीक्षण कर सकें|
हालाँकि जल्द ही खबर फैल गई कि जिन आदिवासी महिलाओं पर इस टीके का परीक्षण किया गया था, वे गर्भवती हो गईं और उनमें से एक ने विकृत आकार के बच्चे को जन्म दिया, जो पैदा होते ही मर गया| इससे भी ज्यादा हैरत की बात यह थी कि वह भ्रूण प्रयोगशाला से गायब हो गया और पास ही स्थित एक गैर सरकारी संस्था के शिविर में पहुँच गया| ऊब रही पूर्वा ने इस कहानी का सूत्र पकड़कर इसके अविश्वसनीय रहस्य को उजागर करना शुरू किया| उसने महसूस किया कि अंशुल वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के अंतरराष्ट्रीय खेल में शामिल है, जो अविश्वसनीय रूप से ऊँचे दाँव लगा रहे हैं; और एक अच्छे गर्भनिरोधक का उत्पादन होने से पहले यह खेल नहीं रुकेगा|बुद्धिमत्तापूर्ण शोध पर आधारित यह कहानी बंगलौर के फलते-फूलते दवा उद्योग के साथ आगे बढ़ती हुई एम.आर. हिल्स की आदिवासी बस्तियों से होते हुए गुजरती है तथा न्यूयॉर्क के चिकित्सा अनुसंधान के विशिष्ट जगत् तक पहुँचती है|
चिकित्सा क्षेत्र में गैट समझौते और बदलते पेटेंट कानूनों पर प्रकाश डालनेवाला रोहिणी निलेकणी का एक रोचक-रोमांचक पठनीय उपन्यास|
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