$7.78
Genre
Print Length
119 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2014
ISBN
9789383111398
Weight
265 Gram
गांगेय अंचल में गंगा के पार-आर पानी से निकलनेवाली जमीनों को लेकर हर वर्ष बुआई और कटाई के समय जानलेवा संघर्ष होता रहा है, फिर भी प्रशासन और समाचार माध्यमों से यह सनातन प्रश्न अछूता-अनदेखा ही रहा है| गंगा के पार-आर में इन्हीं सवालों पर रोशनी डाली गई है| दोनों किनारों के रहनेवालों के आपसी संबंधों और जीवन व्यापारों का भी इसमें आकलन है|
0
out of 5