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Print Length
224 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
8185826498
Weight
375 Gram
प्राय: देखा गया है कि किसी घायल व्यक्ति या किसी रोगी की बिगड़ती अवस्था को देखकर हमारे हाथ-पाँव फूल जाते हैं, हम किंकर्तव्यविमूढ़ की अवस्था में खड़े एक दर्शक मात्र रह जाते हैं-यह हमारे अज्ञान का द्योतक है| यदि चिकित्सकीय उपचार की हमें तनिक भी जानकारी हो तो रोग को और बिगड़ने या संक्रमण आदि से बचाया जा सकता है| ऐसे रोगों में (यथा-दिल की बीमारी), जिनमें उपचार की प्रारंभिक सहायता में तनिक भी देरी किए जाने से रोगी की जान भी जा सकती है, प्राथमिक उपचार की भूमिका देवदूत सी है|
प्राथमिक उपचार वह उपचार है, जो किसी दुर्घटना में घायल व्यक्ति को अथवा किसी भयंकर रोग से अचानक पीड़ित हो जानेवाले व्यक्ति को तत्काल दिया जाता है| इसका उद्देश्य पीड़ित व्यक्ति के जीवन की रक्षा करना, उसे पीड़ा से राहत पहुँचाना, उसकी हालत को और अधिक बिगड़ने से रोकना तथा उसे पुन: स्वस्थ होने में मदद देना होता है| यह साधारण व्यक्ति द्वारा कुशल चिकित्सकीय सुविधाएँ उपलब्ध होने तक दिया जानेवाला ‘जीवनरक्षक उपचार’ है|
सरल भाषा और सचित्र व्याख्या के साथ प्रस्तुत यह बहूपयोगी पुस्तक हर आयुवर्ग के पाठकों के लिए ही नहीं, हर परिवार के लिए संग्रहणीय है|
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