Shikhar Tak Chalo (शिखर तक चलो)

By Kusum Lunia (डॉ. कुसुम लुनिया)

Shikhar Tak Chalo (शिखर तक चलो)

By Kusum Lunia (डॉ. कुसुम लुनिया)

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Specifications

Print Length

224 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2013

ISBN

9789380186962

Weight

385 Gram

Description

शिखर तक चलो’ उपन्यास वैसा नहीं है जैसा प्रायः सभी उपन्यास होते हैं| इस उपन्यास की खूबी यह है कि इसमें कहीं भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं होता और फिर भी यह आद्योपांत रोचक व पठनीय बना रहता है|
इसमें सकारात्मक चिंतन, अहिंसा, त्याग, विराग, राष्‍ट्रभक्‍ति आदि मानवीय मूल्यों को उजागर करने का एक प्रयास है| उस प्रयास की निष्पत्ति ‘शिखर तक चलो’ है|
उपन्यास के नायक शिवा के साथ बँधा-बँधा पाठक न जाने कितने संसारों का रमण कर आता है| देश और काल की कोई सीमा नहीं रहती| महावीर से नक्सलवादियों तक और राजनीति, पत्रकारिता व समाज-सेवा के अनेक ज्ञात-अज्ञात पहलुओं का ऐसा मनोहारी चित्रण इस उपन्यास में हुआ है कि समाज के विभिन्न वर्गों से संबंध रखनेवाले पाठक भी इसमें अपने लिए पर्याप्‍त रोचक सामग्री पा सकेंगे| अणुव्रत आंदोलन का प्रतिपादन शिवा के चरित्र में इतनी चतुराई से किया गया है कि वह कहीं भी आरोपित प्रतीत नहीं होता| उलटे शिवा का आचरण ही अणुव्रत का जीवंत दस्तावेज बन जाता है| यह उपन्यास आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद का उत्तम उदाहरण होने के साथ ही प्रेरणा देनेवाला भी है| उपन्यास को पढ़कर युवा पीढ़ी को सही दिशा का बोध होने के साथ ही उसका पथ-प्रदर्शन भी होगा|
-डॉ. वेदप्रताप वैदिक


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