वैसा ही करते नेताजी हाथ जोड़ कातर स्वर में बोले, “हे आम आदमी! क्या तुम भूत हो?” “नहीं|” “देवी-देवता?” “पागल हो! भला देवी-देवता मेरे जैसे होते हैं!” “फिर क्या हो?” “बताया तो है-आम आदमी|” “मुझे डर लग रहा है| आप मेरा क्या करेंगे?” “क्या करेंगे, यह बाद में तय होगा, अभी तो गौर करें मेरे कहे पर|” “आज्ञा कीजिए|” “फाटक पर आए लोगों से मिलें| उनकी शिकायतों को फौरन दूर कराएँ| क्या करते हैं आप?” “सेवा|” “उसे त्यागें और आगे से सिर्फ काम करें| ठीक?” “ठीक| और कुछ?” -इसी पुस्तक से --- आज भ्रष्टाचार के नित नए घोटाले और तरह-तरह के अनाचारों की बाढ़-सी आई हुई है| प्रस्तुत उपन्यास में समाज का विवश और आक्रांत स्वर मुखर हुआ है| मनोरंजन के साथ-साथ जनता की उदासीनता को तोड़नेवाली समस्यामूलक कृति|
Kisi Ek Din (किसी एक दिन)
Author: Gangadhar Shukul (गंगाधर शुकुली)
Price:
$
11.92
Condition: New
Isbn: 9788177212259
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels and Short Stories,
Publishing Date / Year: 2013
No of Pages: 200
Weight: 350 Gram
Total Price: $ 11.92
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