$11.92
Genre
Print Length
200 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9788177212259
Weight
350 Gram
वैसा ही करते नेताजी हाथ जोड़ कातर स्वर में बोले, “हे आम आदमी! क्या तुम भूत हो?”
“नहीं|”
“देवी-देवता?”
“पागल हो! भला देवी-देवता मेरे जैसे होते हैं!”
“फिर क्या हो?”
“बताया तो है-आम आदमी|”
“मुझे डर लग रहा है| आप मेरा क्या करेंगे?”
“क्या करेंगे, यह बाद में तय होगा, अभी तो गौर करें मेरे कहे पर|”
“आज्ञा कीजिए|”
“फाटक पर आए लोगों से मिलें| उनकी शिकायतों को फौरन दूर कराएँ| क्या करते हैं आप?”
“सेवा|”
“उसे त्यागें और आगे से सिर्फ काम करें| ठीक?”
“ठीक| और कुछ?”
-इसी पुस्तक से
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आज भ्रष्टाचार के नित नए घोटाले और तरह-तरह के अनाचारों की बाढ़-सी आई हुई है| प्रस्तुत उपन्यास में समाज का विवश और आक्रांत स्वर मुखर हुआ है| मनोरंजन के साथ-साथ जनता की उदासीनता को तोड़नेवाली समस्यामूलक कृति|
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