मैं एक दिन आत्मीयता और मानवीय सरोकारों से पूरमपूर कहानी ‘पोशनूल की वापसी’ लिखती हूँ और दूसरे दिन आतंक, हत्या, अविश्वास और दरिंदगी से अँटी ‘काली बर्फ’| जीवन की विविधवर्णी सच्चाइयों में वहाँ कहीं आतंक के दौर में फँसे निर्दोष जनों की पीड़ा के कारण छिपे होते हैं, जो शरणदाता होते हुए पुरखों के प्यार पगे आँगनों से निष्कासित होकर शरणागत की मजबूरियाँ ढोते हैं| जहाँ हिकारत, अभाव और छोटे-छोटे स्वार्थ उसे मानवीय गरिमा से वंचित कर देते हैं, वहीं ‘शरणागत दीनार्त’ जैसी कथा जन्म लेती है| अनुभव के वृत्त कभी उपभोक्तावादी संस्कृति में वस्तु बनने की नियति से जूझती ‘पायथन’ जैसी कथाएँ पैदा करते हैं, कभी संवेदनहीन होते समाज में असहाय होते वृद्धों की नियति ‘वनवास’ कथा लिखने का कारण बन जाती है| समाज के छद्म, दोहरे मानदंड और पुरुष-वर्चस्व की धौंसियाती स्थितियाँ ‘शेष दिन’, ‘विदागीत’, ‘गलत गणित’, ‘नदी का काम बहना है’, ‘रानी भाभी’, ‘पृष्ठभूमि’ आदि कहानियों में विश्लेषित होती हैं, जहाँ स्त्रियाँ यथास्थिति के विरोध में खड़ी जीवन को अपनी शर्तों पर जीने की हिम्मत जुटा लेती हैं| राजनीतिक मूल्यहीनता, आतंकवाद, सामाजिक-आर्थिक वैषम्य से उत्पन्न मानवीय यंत्रणा के बहुविध कारणों की पड़ताल करती ये कहानियाँ बेहतर जीवन के लिए सार्थक बदलाव एवं आत्मसमीक्षा के लिए प्रेरित करती हैं और मूल्यों के पुनर्परीक्षण के लिए भी|
Kali Barf (काली बर्फी)
Author: Chandrakanta (चंद्रकांता)
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$
7.78
Condition: New
Isbn: 9789383110216
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels and Short Stories,
Publishing Date / Year: 2013
No of Pages: 160
Weight: 290 Gram
Total Price: $ 7.78
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