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Sankalp - Kaal (संकल्प - काली)

Price: $ 26.53

Condition: New

Isbn: 8173153000

Publisher: Prabhat Prakashan

Binding: Hardcover

Language: Hindi

Genre: Novels and Short Stories,

Publishing Date / Year: 2014

No of Pages: 312

Weight: 640 Gram

Total Price: $ 26.53

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श्री अटल बिहारी वाजपेयी के चिंतन और चिंता का विषय हमेशा ही संपूर्ण राष्‍ट्र रहा है | भारत और भारतीयता की संप्रभुता और संवर्द्धन की कामना उनके निजी एजेंडे में सर्वोपरि रही है | यह भावना और कामना कभी संसद में विपक्ष के सांसद के रूप ने प्रकट होती रही, कभी कवि और पत्रकार के रूप में, कभी सांस्कृतिक मंचों से एक सुलझे हुए प्रखर वक्‍ता के रूप में और 1996 से भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अभिव्यक्‍त हो रही है | श्री वाजपेयी ने देश की सत्ता की बागडोर का दायित्व एक ट्रस्टी के रूप में ग्रहण किया | राष्‍ट्र के सम्मान और श्रीवृद्धि कौ सर्वोच्च प्राथमिकता दी | न किसी दबाव को आड़े आने दिया, न किसी प्रलोभन को | न किसी संकट से विचलित हुए, न किसी स्वार्थ से | फिर चाहे वह परमाणु परीक्षण हो, कारगिल समस्या हो, लाहौर-ढाका यात्रा हो या कोई और अंतररष्‍ट्रीय मुद‍्दा | इसी तरह राष्‍ट्रीय मुद‍्दों पर भी दो टूक और राष्‍ट्र हित को सर्वोपरि मानते हुए निर्णय लिये-चाहे वह कावेरी विवाद हो या कोंकण रेलवे लाइन का मसला, संरचनात्मक ढाँचे का विकास हो या सॉफ्टवेयर के लिए सूचना और प्रौद्योगिकी कार्यदल की स्थापना, केंद्रीय बिजली नियंत्रण आयोग का गठन हो या राष्‍ट्रीय राजमार्गों और हवाई अड्डों का विकास, नई टेलीकॉम नीति हो या आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने का सवाल, ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर जुटाने का मामला हो या विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिए बीमा योजना | संप्रति अपने प्रधानमंत्रित्व काल में श्री वाजपेयी ने जो उपलब्धियाँ हासिल की हैं उन्हें दो शब्दों में कहा जा सकता है-जो कहा वह कर दिखाया | प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के बाद भी उनकी कथनी और करनी एक ही बनी रही-इसका प्रमाण हैं इस ' संकल्प-काल ' में संकलित वे महत्वपूर्ण भाषण जो श्री वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में विभिन्न मंचों से दिए| अपनी बात को स्पष्‍ट और दृढ़ शब्दों में कहना अटलजी जैसे न‌िर्भय और सर्वमान्य व्यक्‍त‌ि के लिए सहज और संभव रहा है | लाल किला से लाहौर तक, संसद से संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा तक विस्तृत विभिन्न राष्‍ट्रीय- अंतरराष्‍ट्रीय मंचों से दिए गए इन भाषणों से बार-बार एक ही सत्य एवं तथ्य प्रमाणित और ध्वनित होता है- श्री वाजपेयी के स्वर और शब्दों में भारत राष्‍ट्र राज्य के एक अरब लोगों का मौन समर्थन और भावना समाहित है | प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित ' मेरी संसदीय यात्रा ' (चार भाग) के बाद ' संकल्प-काल ' का प्रकाशन अटलजी के पाठकों और उनके विचारों के संग्राहकों के लिए एक और उपलब्‍ध‌ि है|