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Specifications

Print Length

135 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2013

ISBN

9789383110179

Weight

290 Gram

Description

बार-बार लगता है कि आज यथार्थ को देखने के लिए युधिष्‍ठिर की दृष्‍टि चाहिए, जिसे कोई बुरा व्यक्‍ति नहीं दिखा| वह दृष्‍टि चाहिए, जो गंदे नालों को भी गंगा की एक बूँद डालकर शुद्ध कर ले| उन नालों की दुर्गंध की चर्चा से दुर्गंध कम नहीं होती, बल्कि और बढ़ती है| यदि उस दुर्गंध से बचाने के लिए शुद्ध वायु का झोंका मिलता रहे तो समाज को बदलने में देर नहीं लगेगी|
समाज में भी अच्छे लोगों की कमी नहीं है| साहित्य समाज का जीवंत दर्पण है, दस्तावेज है; कथाकार को यह छूट तो मिलनी ही चाहिए कि वह उन अच्छाइयों को अपनी रचना के मुख पृष्‍ठ पर स्थान दे| इसलिए इस उपन्यास में अच्छे लोगों की कमी नहीं है, जो राम की भूमिका में प्रस्तुत हैं| नारी पात्र अपनी अलग-अलग तेजस्वी छवियों में हमारे सामने प्रकट होते हैं और प्रेरणा का दीपक जलाकर अपने साथ ही सबका पथ प्रशस्त करते हैं|
प्रस्तुत उपन्यास के अन्य पात्र अग्राह्य को अस्वीकार करके ग्राह्य को स्वीकार करते हैं| वे लोक निंदा से डरते हैं, परनिंदा के भय से अन्याय नहीं सहते, उसका प्रतिरोध करते हैं| वे सतानेवाले का प्रतिरोध करते हैं और सताए गए व्यक्‍ति के साथ खड़े होते हैं| जो दुष्‍ट प्रकृति के पात्र हैं, वे बाहरी दंड पाकर या अपनी आत्मग्लानि के दुःख से गलते हुए अपनी भूल स्वीकार करते हैं| यह भी सत्य और अच्छाई की विजय है, जो समाज को हृदय-परिवर्तन का विश्‍वास देती है और परिवर्तन का संकल्प भी|
अँधेरे में आशा की ज्योति तथा अच्छाई को हौसला देता एक प्रेरणादायी उपन्यास|


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