$19.64
Genre
Other
Print Length
231 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2014
ISBN
9789350485491
Weight
525 Gram
भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सत्तर के दशक से देश के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण राजनेताओं में से एक हैं| पचास वर्षों से अधिक समय से अपने अभिन्न सहयोगी, पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ उन्होंने देश के राजनीतिक परिदृश्य में महत्त्वपूर्ण और निर्णायक परिवर्तन लाने में अहम भूमिका निभाई है| सन् 1980 में ‘भारतीय जनता पार्टी’ की स्थापना से लेकर अब तक के विकास में उनका अमूल्य योगदान रहा है| आडवाणी 8 नवंबर, 1927 को कराची में पैदा हुए, जहाँ उन्होंने आरंभिक शिक्षा प्राप्त की| चौदह वर्ष की आयु में भारतीय राष्ट्रवाद और चरित्र-निर्माण के लिए समर्पित सामाजिक संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ से जुड़े आडवाणी सन् 1951 में डॉ. श्यामाप्रसाद मुकर्जी द्वारा ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना के बाद सक्रिय राजनीति में आए| जनसंघ के प्रमुख स्तंभ एवं चिंतक पं. दीनदयाल उपाध्याय का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा| आडवाणी सन् 1973 में जनसंघ के अध्यक्ष चुने गए और लगातार तीन कार्यकाल तक इस पद पर रहे| 1975 में आपातकाल के दौरान वे 19 महीने के लिए नजरबंद रहे| वे चार बार राज्यसभा के लिए तथा छह बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं| भाजपा ने सन् 1998 में कांग्रेस को पटखनी दी, जब वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की मिली-जुली सरकार बनाने में सफल रही| राजग की सरकार (1998-2004) में वे भारत के गृहमंत्री एवं उपप्रधानमंत्री रहे| वर्ष 1999 में आडवाणी को प्रतिष्ठित सर्वोत्तम सांसद पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया| अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ और सबको साथ लेकर चलने की नीति के कारण वे अपने समर्थकों और आलोचकों के बीच समान रूप से लोकप्रिय हैं| ओजस्वी वक्ता और अनुभवी सांसद आडवाणी राष्ट्र-विकास के लिए सुशासन के प्रखर प्रणेता रहे हैं| सक्रिय राजनीति में आने से पहले एक पत्रकार रहे आडवाणी पुस्तकों, रंगमंच और सिनेमा के सूक्ष्म पारखी हैं| वर्तमान में वे पत्नी कमला, पुत्री प्रतिभा, पुत्र जयंत, पुत्रवधू गीतिका और पौत्री नव्या के साथ दिल्ली में रह रहे हैं|
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