माता और मातृभूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर बताया गया है | वस्तुत: इनसे वियोग सबके लिए दु:खदायी रहा है, चाहे वह उन्नीसवीं सदी का निपट गँवार, फुसलाकर भेजा गया अनपढ़ पतिराम हो या आधुनिक बुद्धिजीवी, जिन्होंने स्वेच्छा से देश-त्याग किया हो | पतिराम एक व्यक्ति नहीं, एक वर्ग है, जो बेहतरी की खोज में शोषण, उत्पीड़न का शिकार होता है; जो तत्कालीन युग- सत्य था | प्रस्तुत पुस्तक में उस अंचल के जीवन, सामाजिक और तत्कालीन मूल्यों को अभिव्यंजित किया गया है, जहाँ से अधिकांश बँधुआ मजदूर अनजाने में ही दुनिया की विभिन्न कर्मभूमियों में दूसरों की आर्थिक समृद्धि के लिए नियत हुए थे | कुछ लौट आए, ज्यादा वही हैं, जो नहीं लौटे |
Jo Nahin Laute (जो नहीं लौटे)
Author: Narottam Pandey (नरोत्तम पांडेय)
Price:
$
12.40
Condition: New
Isbn: 8177210122
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels and Short Stories,
Publishing Date / Year: 2011
No of Pages: 228
Weight: 385 Gram
Total Price: $ 12.40
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