$7.00
Genre
Print Length
168 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2009
ISBN
8188266795
Weight
335 Gram
“मम्मी! तुम तो कह रही थीं, भइया खरीदोगी?”
“हाँ, कहा तो था!” जवा ने सिटपिटाकर कहा|
“फिर?”
“वो ऐसा हुआ कि लड़के सारे बहुत काले-काले थे| लड़कियों के स्टॉक में यह बहुत सुंदर सी दिखी तो हमने लपककर तुम्हारे लिए छाँट लिया| देखो तो! इसकी आँखें नीली हैं!”
“सच मम्मी! यह तो बहुत सुंदर है!”
नई बहन की सुंदरता देखकर गोल-मटोल चेहरा संतुष्ट हुआ| जवा ने चैन की साँस ली| बेटी पंद्रह दिन की हो गई थी|
छोटी रानी की नीली आँखों में झाँकती उसे गोद में डुलाती जवा एक दिन गुनगुना उठी-
“हरा समंदर गोपी चंदर
बोल मेरी मछली कितना पानी?”
“इतना पानी!”
बड़ी बिटिया हाथ फैलाकर पानी की मात्रा बताती हँस रही थी|
-इसी पुस्तक से
प्रस्तुत उपन्यास में एक स्त्री के नि:स्वार्थ प्रेम, वात्सल्य, त्याग, सेवा और समर्पण जैसे गुणों को चित्रित किया गया है, इसमें स्त्री-मन की उथल-पुथल और मनोभावों की सशक्त अभिव्यक्ति है| स्त्री-जीवन के समग्र पक्ष को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता उत्कृष्ट सामाजिक उपन्यास|
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