$10.00
Genre
Print Length
132 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
818582987X
Weight
260 Gram
मनुष्य इस जगत् में सफल होने ओर सुखी रहने के लिए आता है | सफल तो बहुत सारे हो जाते हैं, परंतु यह जरूरी नहीं कि प्रत्येक सफल व्यक्ति सुखी भी हो | स्पष्ट है, सुख की प्राप्ति जीवन में सफलता हासिल कर लेने से ज्यादा मुश्किल है | विपुल धन भी सुख की गारंटी नहीं दे सकता | आय की वृद्धि के साथ संतुष्टि और सुख की वृद्धि होना आवश्यक नहीं है |
पश्चिमी समाज सुख के फॉर्मूले तलाश रहा है | लेकिन सच्चा और स्थायी सुख शायद फॉर्मूलों की बाँहों में समाता नहीं है | उसके असंख्य स्रोत हैं | उसके अनगिनत स्वरूप हैं| सुप्रसिद्ध भाषाविद् प्रखर चिंतक और यशस्वी लेखक डॉ. रमेश चंद्र महरोत्रा की यह पुस्तक उन सबके साक्षात्कार की राह बताती है | आप राह स्वयं तलाशिए और उस राह के दीपक भी स्वयं बनिए | हिंदी में जीवन-मूल्य और सुख की प्राप्ति पर केंद्रित पुस्तकों का जो विकट अभाव है, उसकी पूर्ति में डॉ. महरोत्रा की यह कृति निस्संदेह उपयोगी होगी|
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