‘आत्मा बेचारी कितनी गहराई में होती है हाड़-मांस-चर्म की पोशाक पहन, इंद्रियों का साम्राज्य बना सामने की दुनिया में खुद को प्रकट और नामित कर|’ ‘याद रखो जो सुख का है वह सबका है जो दु:ख का है सिर्फ अपना है|’ ‘वजह हो या न हो मेरी कविता में मेरे समय के और बाद के हर कवि की कविता के अणुओं और परमाणुओं में हो प्रचुर शक्ति|’ ‘अपनी अंगिक असफलता समझने को कवि के पास नहीं होते शब्द|’ ‘अभव के इस चकित महापर्व से ही तो जन्म लेते हैं हमारे अल्पायु संबंध| ‘इतनी गहरी यातना को क्या घाव की तरह नहीं पहना जा सकता रोजाना की पोशाक के नीचे?’
Apane Bheetar Ka Meghdoot (अपने भीतर मेघदूत)
Author: Amarendra Khatua (अमरेंद्र कटुआ)
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$
7.78
Condition: New
Isbn: 9789380823683
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels and Short Stories,Self-Help,
Publishing Date / Year: 2012
No of Pages: 112
Weight: 255 Gram
Total Price: $ 7.78
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