$7.78
Genre
Print Length
134 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
8188139319
Weight
250 Gram
भर्तृहरि संस्कृत के लोकप्रिय कवियों में से एक हैं | संस्कृत साहित्य में उनकी तीन कृतियों- ' नीति-शतक ', ' श्रृंगार -शतक ' एवं ' वैराग्य-शतक ' प्रसिद्ध हैं | यद्यपि कवि के रूप में भर्तृहरि का कृतित्व इन तीन शतकों तक ही सीमित है, किंतु गुणात्मक दृष्टि से उसे कवित्व व काव्यकला की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि माना जा सकता है |
' नीति-शतक ' के सम्यक् अनुशीलन से ज्ञात होता है कि भर्तृहरि ने दुनिया को बड़ी गहराई तथा सूक्ष्म दृष्टि से देखा- समझा था | वस्तुत: कवि ने इस शतक में लोक-व्यवहार, सांसारिक जीवन तथा मानव-चरित्र व मानव-मूल्यों के सभी महत्वपूर्ण पक्षों का मर्मस्पर्शी विवेचन किया है | भर्तृहरि मनुष्य के व्यक्तित्व में निहित समस्त उदात्त संभावनाओं के चरम उत्कर्ष को अपना अंतिम आदर्श मानते हैं; लेकिन सांसारिक जीवन की विसंगतियों, विकृतियों व क्षुद्रताओं को भी उन्होंने बेझिझक अनावृत किया है |
आशा है, ' नीति-शतक ' का मुक्तछंद में किया गया यह अभिनव हृदयग्राही अनुवाद सुधी पाठकों को उसके अनुपम काव्य-सौंदर्य का आस्वादन कराने में सफल होगा |
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