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Genre
Print Length
160 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
9789381063200
Weight
305 Gram
भारत में संत-कवियों की एक लंबी परंपरा रही है| भक्त कवियों की श्रेणी में रसखान का अनन्य स्थान है| उनका पूरा काव्य भगवान् श्रीकृष्ण को अर्पित है, जिन्हें वे अपना सखा, पथ-प्रदर्शक, आराध्य और मुक्तिदाता मानते रहे|
रसखान ने अपनी रचनाएँ श्रीकृष्ण को केंद्र में रखकर लिखीं, मानो उनका प्रत्येक शब्द भेंट के रूप में उन्हें समर्पित कर दिया हो| काव्य-सृजन में उन्होंने न तो किसी विशेष परंपरा व अनुसरण किया, न ही अपनी परंपराएँ किसी पर थोपीं|
उनके काव्य में संयोग और वियोग-दोनों रसों के विलक्षण दर्शन होते हैं| कहीं गोप-भाव से तो कहीं गोपी-भाव से उन्होंने अपने आराध्य भगवान् श्रीकृष्ण के साथ काव्य-रास किया है|
प्रस्तुत पुस्तक में रसखान का जीवन-परिचय एवं काव्य-रचनाओं का सार-संक्षेप दिया गया है, जो निश्चय ही पाठकों के लिए उपयोगी एवं ज्ञानवर्द्धक सिद्ध होगा|
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