$10.24
Genre
Print Length
167 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2012
ISBN
9789380823737
Weight
305 Gram
संदर्भ व्यक्ति का हो या समाज का, राष्ट्र का हो अथवा विश्व का, प्रगति तथा अनुशासन दोनों की ही भूमिका परम महत्त्व की है| दूसरे शब्दों में, वास्तविक प्रगति और अनुशासन दोनों की ही मर्यादाओं का सतत आदर करने में ही व्यक्ति का, समाज का, राष्ट्र तथा विश्व का कल्याण निहित है| साथ ही इन दोनों में से किसी एक की भी अवहेलना होने पर व्यक्ति, समाज, राष्ट्र तथा विश्व सभी विनाश की ओर उन्मुख होंगे, इसमें किंचित् भी संशय नहीं है| दोनों ही तत्त्व एक-दूसरे पर इतने अवलंबित हैं कि दोनों का अध्ययन एक ही स्थान पर करना आवश्यक हो गया|
अनुशासन एवं प्रगति जैसे अत्यंत गहन और महत्त्वपूर्ण विषयों को समझने से पूर्व यह आवश्यक होगा कि हम एक बार अपने चारों ओर देखें और थोड़ा सा ही अंकन इस बात का करें कि आज के मानव की, विशेषतः हमारे देशवासियों की क्या दशा है?
-इसी पुस्तक से
इस पुस्तक में जीवन को संस्कारवान बनाने और उसे सही दिशा में ले जाने के जिन सूत्रों की आवश्यकता है, उनका बहुत व्यावहारिक विश्लेषण किया है| लेखक के व्यापक अनुभव से निःसृत इस पुस्तक के विचार मौलिक और आसानी से समझ में आनेवाले हैं|
जीवन को सफल व सार्थक बनाने की प्रैक्टिकल हैंडबुक है यह कृति|
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