$13.33
Genre
Print Length
312 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
9789387968721
Weight
500 Gram
कहानीकार का संवेदन संस्कार के रूप में अपने परिवेश को ग्रहण करता है | वह उसी में जीता है, साँस लेता है | प्रवासी लेखक अपने घर-परिवार, देश और मिट्टी से अलग होकर एक अन्य देश-काल और परिवेश में चला जाता है | वहाँ उसके नए संस्कार बनते हैं, नए दृष्टिकोण बनते हैं | माहौल बदल जाने से उसकी जिंदगी में बहुत सी पेचीदगियों आ जाती हैं | उसकी मान्यताएँ बदलने लग जाती हैं | यहीं द्वंद्व के आरंभ का प्रारंभ होता है | और यहीं कहानियाँ जन्म लेती हैं |..
ये कहानियों भारतीय मूल्यों और मान्यताओं के चौखटे में संभवतः सही नहीं बैठेंगी; परंतु इन मूल्यों और मान्यताओं कै कारण ही एक परिवेश का साहित्य दूसरे परिवेश के साहित्य से अलग नहीं हो जाता | इन कहानियों के भीतर रिसी हुई गहरी मानवीय संवेदना उन्हें एक - दूसरे से जोड़े रखती है | सात समंदर पार होने पर भी यही मानवीयता इन कहानियों को समयातीत, कालेतर और समयसापेक्ष बनाती है |
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