$11.78
Genre
Print Length
188 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2014
ISBN
9788173155970
Weight
340 Gram
बदले हुए रणनीतिक सिद्धांत के मद्देनजर चीन भारत को अमेरिका के एक हथियार के रूप में देखता है| वह पिछले कई दशकों से भारत को घेरे में लेने और उसे दक्षिण एशिया में उलझाकर रखने की सोची-समझी नीति अपना रहा है| पाकिस्तान को जितनी चीन की ओर से हथियारों और अन्य साधनों की मदद मिली है उतनी पश्चिम के किसी देश से नहीं मिली| उत्तर में चीन ने तिब्बत का सैन्यकरण कर लिया है| उधर पूर्व में उसने बँगलादेश के साथ एक सैन्य समझौता कर लिया है| पूर्व में ही और आगे बढ़ें तो एक ओर जहाँ हम म्याँमार को लोकतंत्र का हवाला देकर झिड़क रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चीन उसे अपना आश्रित बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ चुका है| और यहाँ हम अपनी आँखें बंद किए बैठे हैं| साथ ही ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ का राग और तेजी से अलाप रहे हैं| -इसी पुस्तक से वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री अरुण शौरी की यह पुस्तक चीन द्वारा हासिल की जानेवाली शक्तियों, उसकी रणनीतियों और भारत के संदर्भ में उनके परिणामों की समीक्षा तो करती ही है, भारत-चीन संबंधों के अतीत, वर्तमान व भविष्य की भी पड़ताल करती है|
0
out of 5