जब-जब मुझसे गांधीजी के संबंध में कुछ कहने या बोलने को कहा गया, मैं बराबर कुछ हिचकिचाता रहा और वह इसलिए कि उनके समस्त सिद्धांतों को पूर्णरूप से समझना और फिर लोगों को समझाना, कम-से-कम मेरी शक्ति के बाहर की बात है| जो कुछ थोड़ा-बहुत मैं समझ और सीख सका, उसके बारे में भी मुझे इस बात का संकोच हमेशा रहा है कि मैं उन सिद्धांतों को अपने व्यक्तिगत व सार्वजनिक जीवन में कहाँ तक अमल में ला सका हूँ| मेरा और उनका तीस-इकतीस बरस का अत्यंत निकट संपर्क रहा था और उस बीच मैंने उनसे बहुत कुछ शिक्षा- सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व नैतिक-हरेक दृष्टि से प्राप्त की| मैंने एक जगह लिखा था कि उनकी विचारधाराएँ हिमालय से निकलनेवाली निर्मल गंगा की तरह पवित्र हैं और उन्हीं धाराओं से जो कुछ जल मैं सिंचित कर सका, उसके बल पर मुझे जनता-जनार्दन की सेवा करने का थोड़ा-बहुत सौभाग्य प्राप्त हुआ| यद्यपि उनके समस्त सिद्धांतों व शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है, फिर भी उनके साथ सेवा करते-करते जो कुछ अनुभव मैंने प्राप्त किया है, उसके आधार पर भारत और संसार को गांधीजी की अनुपम देन के बारे में इस पुस्तक में अपने विचारों को व्यक्त करने का प्रयत्न किया है|” -इसी पुस्तक से गांधीजी की देन राजेंद्र बाबू द्वारा गांधीजी के साथ बिताए क्षणों में अनुभूत विचारों का संकलन है, जो गांधीजी के संपूर्ण व्यक्तित्व को रेखांकित करता है| एक मायने में गांधीजी के उच्चादर्शों का ज्योति-पुंज है यह पुस्तक|
Gandhiji Ki Den (गांधीजी की देन)
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7.78
Condition: New
Isbn: 9788173156762
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Paperback
Language: Hindi
Genre: Novels and Short Stories,
Publishing Date / Year: 2013
No of Pages: 124
Weight: 270 Gram
Total Price: $ 7.78
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