इस पुस्तक के प्रथम संस्करण से ही सी.के. प्रह्लाद की अभिनव अंतर्दृष्टि ने विविध क्षेत्रों में सक्रिय कंपनियों को ऐसा प्रतीत किया कि वे विश्व के सर्वाधिक निर्धनों में नई मंडियों की खोज में संलग्न हो गईं| निर्धनों के साथ जुड़कर इन कंपनियों ने न केवल लाभ कमाया बल्कि दरिद्रता और दु:ख से छुटकारा दिलाने में भी उनकी सहायक बनीं| आज पुस्तक के प्रथम संस्करण के पाँच वर्ष बाद प्रह्लाद के ये विचार एकांगी नवाचार नहीं हैं| अब वे प्रमाणित व ठोस वास्तविकता बन चुके हैं| प्रस्तुत पुस्तक में प्रह्लाद बुनियादी सवालों के सटीक जवाब भी देते हैं| जैसे कि क्या सचमुच वहाँ मंडियाँ हैं? क्या वहाँ लाभ है? क्या वहाँ नवाचार है? क्या वहाँ वैश्विक स्तर के अवसर हैं? आज से पाँच वर्ष पहले मार्केटिंग के कार्यकारी केवल आशा कर सकते थे कि वस्तुत: ऐसा है| आज वे इसके बारे में निश्चित तौर पर आश्वस्त हैं| प्रह्लाद ने अनेक दुविधाओं के समाधान इस पुस्तक में दिए हैं- • सर्वाधिक निर्धन ग्राहकों की समस्याओं को कैसे हल किया जाए| • उभरती मंडियों के लिए नवाचार| • धन-संपदा अर्जन के निमित्त पारिस्थितिकी बनाना| • समाज और उद्यमों को प्रभावित करने वाला उन्नयन|
Gareebi Hatayen, Munafha Kamaye (गरीबी हटायें, मुनाफ़ा कामयें)
Author: C. K. Prahlad (सी. के. प्रह्लाद)
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10.45
Condition: New
Isbn: 9788131767047
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Other,
Publishing Date / Year: 2012
No of Pages: 168
Weight: 320 Gram
Total Price: $ 10.45
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