$7.78
Genre
Print Length
135 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
9789350483930
Weight
300 Gram
वे दिन अब सिर्फ इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं, जब किसी अगस्त्य को अपने विचार और वाणी को दिक्दिगंत तक फैलाने के लिए पूरा-का-पूरा समुद्र पी जाना पड़ता था| फाह्यान या अलबरूनी की तरह अब यात्राएँ करने और उन्हें लिपि में सँजोने के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ती| आप देख रहे हैं कि यह धरती एक ग्लोबल विलेज में तब्दील होती जा रही है और देशों की दूरियाँ हवाईजहाजों में सिमटकर रह गई हैं| ऐसे बहुत से लोग दिखाई पड़ते हैं, जो सुबह का नाश्ता एक देश में करते हैं और रात का भोजन दूसरे देश में| फिर भी यात्राओं ने अपना रोमांच नहीं खोया है और घुमक्कड़ी की इनसानी प्रवृत्ति कुछ नया देखने के लिए बेताब रहती है| युवा संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के यात्रा-संस्मरणों की यह पुस्तक ‘बहाव’ इसका जीता-जगता उदाहरण है|
इस पुस्तक में जापान, थाईलैंड, अमरीका, पाकिस्तान, ग्रीस, दक्षिण कोरिया, पोलैंड, जर्मनी, ब्राजील जैसे देशों की यात्रा के अनुभव हैं| इस पुस्तक की खास बात यह है कि इसमें हिमांशु की आँखों से देखी हुई दुनिया के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के दो राजनेताओं की विदेश यात्राओं के अनुभव भी हैं| राजनेताओं ने जिस तरह अपनी विदेश यात्राओं का जिक्र हिमांशु से किया, उसे उन्होंने अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत किया| इस पुस्तक में ये दोनों अनुभव गुँथे हुए हैं|
यह पुस्तक सुधी पाठकों को दुनिया को देखने का एक नया नजरिया, दुनिया के तमाम देशों के साथ भारत के रिश्तों को समझने की समझ तो देगी, साथ ही अपनी जीवंत भाषाशैली के कारण उन्हें उस देश में ही पहुँचा देगी|
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