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Denpa - Tibbat Ki Diary (देनपा - तिब्बत की डायरी)

Price: $ 15.97

Condition: New

Isbn: 9789350486139

Publisher: Prabhat Prakashan

Binding: Hardcover

Language: Hindi

Genre: Novels and Short Stories,Memoir and Biography,

Publishing Date / Year: 2010

No of Pages: 318

Weight: 490 Gram

Total Price: $ 15.97

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तिब्बत की सांस्कृतिक मृत्यु पर भारत चुप नहीं रह सकता| पूरा विश्‍व मानवाधिकार हनन के प्रश्‍न पर मौन नहीं रह सकता| ये दोनों ही बिंदु तिब्बत आंदोलन को बल प्रदान करते हैं| भारत सरकार क्या सोचती है, यदि इस प्रश्‍न को एक ओर रख दिया जाए तो इतना स्पष्‍ट है कि पूरा हिंदुस्तान यह सोचता है कि तिब्बत की स्वतंत्रता की लड़ाई उनकी अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई के समान है| यदि सन् 1947 के पूर्व उन्हें आजादी एवं लोकतंत्र चाहिए था, तो क्या कारण है कि वह आजादी और लोकतंत्र आज तिब्बत के लोगों को नहीं मिलना चाहिए? विस्तारवादी चीन का अस्तित्व शेष दुनिया के लिए खतरा है| जो देश इस खतरे को समझेंगे, वे आपस में मिलेंगे| चीन टूटेगा और तिब्बत को आजादी भी मिलेगी| बफर स्टेट के रूप में तिब्बत सदियों से भारत का अच्छा पड़ोसी रहा है| तिब्बत की स्वतंत्रता के बाद विश्व भर में शांति, भाईचारा और अध्यात्म को शक्‍त‌ि मिलेगी| अहिंसा और शांति मानव मात्र के विकास के लिए जरूरी है| तिब्बत की स्वतंत्रता से इन्हें बल मिलेगा| -इसी उपन्यास से तिब्बत-अस्मिता के जलते सवाल पर अपने लेखन से चर्चा में आई सिद्धि-संपन्न लेखिका नीरजा माधव की ताजा औपन्यासिक कृति ‘देनपा : तिब्बत की डायरी’| तिब्बती समाज की संघर्षगाथा का युगीन दस्तावेज, जो सुरक्षित रहेगा सदियों तक तेन्ग्यूर की तरह|