$15.83
Genre
Print Length
296 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789350483138
Weight
480 Gram
‘अमल धवल गिरि के शिखरों पर, बादल को घिरते देखा है|
छोटे-छोटे मोती जैसे उसके शीतल तुहीन कणों को,
मानसरोवर के उन स्वर्णिम कमलाऐं पर गिरते देखा है,
बादलों को घिरते देखा है| तुंग हिमालय के कंधों पर
छोटी-बड़ी कई झीलें हैं, उनके श्यामल नील सलिल में
समतल देशों से आ-आकर पावस की उमस से आकुल
तिक्त-मधुर विषतंतु खोजते हंसों को तिरते देखा’’
-नागार्जुन स्फटिक-
निर्मल और दर्पन-स्वच्छ,
हे हिम-खंड, शीतल औ समुज्जवल,
तुम चमकते इस तरह हो, चाँदनी जैसे जमी है
या गला चाँदी तुम्हारे रूप में ढाली गई है|
-हरिवंशराय बच्चन
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