मेरे क़िरदार थोड़ा इसी समाज से आते हैं, लेकिन समाज से कुछ दूरी बरतते हुए। मेरी कहानियों में ‘फ्रीक’ भी जगह पाते हैं, सनकी, लीक से हटेले और जो बरसों किसी परजीवी की तरह मेरे ज़हन में रहते हैं। जब मुकम्मल आकार प्रकार ले लेते हैं, तब ये क़िरदार मुझे विवश करते हैं, उतारो हमें कागज पर। कोई कठपुतली वाले की लीक से हट कर चली पत्नी, कोई बहरूपिया, कोई डायन क़रार कर दी गई आवारा औरत, बिगड़ैल टीनेजर, न्यूड माॅडलिंग करने वाली,...’’ अछूते क़िरदार और विषय तो मनीषा कुलश्रेष्ठ के लेखन की पहचान है और यही बात उनकी इन कहानियों में भी पूरी उतरती है। जहाँ एक ओर क़िरदार की कहानियों में कथ्य और परिवेश की विविधता है तो दूसरी ओर, माला में धागे की तरह, एक केन्द्रीय विषय-वस्तु भी है। कथ्य, कहने की धार और लोकरंग इन कहानियों को बेहद पठनीय बनाता है। किरदारों के भीतर हो रही उथल-पुथल को बड़ी संवेदना से अंतर्मन को झकझोरती ये कहानियाँ पाठकों को बहुत समय तक याद रहेंगी। मनीषा कुलश्रेष्ठ सभी विधाओं में लिखती हैं और उनके अनेक कहानी संग्रह और उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं।
Kirdar (किरदार)
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5.17
Condition: New
Isbn: 9789386534415
Publisher: Rajpal and sons
Binding: Paperback
Language: Hindi
Genre: Fiction,Novels and Short Stories,
Publishing Date / Year: 2023
No of Pages: 144
Weight: 224 Gram
Total Price: $ 5.17
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