$4.89
Print Length
144 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2019
ISBN
9789386534712
Weight
224 Gram
सकर्मक रचनाधर्मिता को सच्चे लेखन की कसौटी मानने वाले कवि-कथाकार शैलेय का यहाँ बर्फ़ गिर रही है दूसरा महत्त्वपूर्ण कहानी संग्रह है जिसमें जनप्रतिबद्धता व ज़मीनी सरोकार काफ़ी गहरे और व्यापक नज़र आते हैं। सात कहानियों का यह संग्रह इस अर्थ में भी महत्त्वपूर्ण है कि यहाँ पहाड़ी पृष्ठभूमि के बावजूद प्रकृति के अतीव सौंदर्य का मनोरम अंकन कथाकार का मूल अभीष्ट नहीं है बल्कि इसमें समाज और उसके यथार्थ की आंतरिक संरचना में विसंगतियों-विद्रूपताओं तथा बड़े सरमायेदारों-ज़मीदारों द्वारा किये जाने वाले शोषण दमन तथा इसके मुकाबिल सुलगते विद्रोह की मार्मिक पड़ताल की गई है।
युवा पीढ़ी के अग्रणी कथाकार शैलेय की इन कहानियों में पहाड़ी ज़िन्दगी के दृश्य हैं जो वहाँ के संघर्ष और स्वप्नों को सजीव करते हैं। उनकी कहानियों में कविता जैसी सूक्ष्म अंतर्दृष्टि है तो साधारण मनुष्यता के पक्ष में खड़े होने के कारण आई भाषिक सहजता भी है।
1961 में उत्तराखण्ड में जन्मे शैलेय के अब तक तीन कविता-संग्रह, एक कहानी-संग्रह व एक उपन्यास प्रकाशित हो चुका है। लम्बे समय से मज़दूर आंदोलन, कुष्ठ निवारण, संस्कृति कर्म, पत्रकारिता तथा अध्यापन से जुड़े प्राध्यापक शैलेय को अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं जिनमें उल्लेखनीय हैं-परम्परा सम्मान 2009, शब्द साधक (जनप्रिय) सम्मान-2009, आचार्य निरंजननाथ सम्मान-2009, परिवेश सम्मान-2009, अम्बिका प्रसाद दिव्य सम्मान-2009, वर्तमान साहित्य सिसौदिया सम्मान-2011 तथा शैलेश मटियानी स्मृति कथा सम्मान-2013।
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