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Genre
Print Length
173 pages
Language
Hindi
Publisher
Navajivan Trust
Publication date
1 January 1999
ISBN
9788172292560
यह पुस्तक मेने ९ अगस्त, १९४७ से शरु की | विचार तो मनमें भरे ही थे| उनमें से कुछ अलग-अलग लेखोंमें प्रकट भी हो चुके थे | मगर इस तरह पुस्तकके रुपमें उन्हें लिख डालनेका मेरा कोई संकल्प नहीं था | पांचवी या छठी अगस्तको श्री शंकरराव देव वर्धा आये थे| उनकी इच्छासे देशके अनेक राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक वगैरा प्रश्नों पर चर्चा करनेके लिए यहांके मुख्य – मुख्य कार्यकर्ताओंकी एक बैठक हुई| इस चर्चामें मैंने भी अपने कुछ विचार पेश किये |
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