$7.90
Genre
Print Length
240 pages
Language
Hindi
Publisher
Manjul Publication
Publication date
1 January 2024
ISBN
9789355433879
Weight
0.71 Pound
पहली पुस्तक सोच का घनत्व आप लोगों तक पहुँचा पाया । उस पर आपकी बेबाक टिप्पणियों से ज़ाहिर हुआ कि सभी सामाजिक सरोकारों पर कलमबद्ध आलेखों ने आपके ध्यान में जगह बनाई, आप लोगों से हुए संवाद में कुछ अनछुए को छूने के लिए भी मुझे कहा गया। इस बात का असर कलम चलते तक रहेगा। कोविड का वह काल; मृत्यु के भय, भ्रम, रोमांच, क्षोभ और रहस्यमयता के बीच अकेले और अपनों के साथ मिलकर जिजीविषा की स्थिरता और शक्ति के वास्तविक अनुभव का बोधिकाल रहा है। इसी समय में रहकर, दाम्पत्य के सन्दर्भ में 'प्रेम में वयस्कता' और 'वयस्कता में प्रेम' के बिखरे अर्थों ने 'प्रेम' के भावार्थ का एक नक्शा मन में बना दिया - भाव और विचार शब्दों का रूप लेते ही हैं। इन्हीं की अतिरंजना के परिमार्जन का स्वरूप मौन है। इसी भावार्थ के एक निजी पहलू का बखान मौनमुखी घुंघरू... अहा की ये 'पलभरियाँ' हैं जिनका सामाजिक सरोकार से भी रिश्ता है और अनछुए को छूने का रोमांच भी ।
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