Mounmukhi Ghunghru...Aha! (मौनमुखी घुंघरु...अहा!)

By Lakshmikant Javney (लक्ष्मीकांत जावनी)

Mounmukhi Ghunghru...Aha! (मौनमुखी घुंघरु...अहा!)

By Lakshmikant Javney (लक्ष्मीकांत जावनी)

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Specifications

Genre

Poetry

Print Length

240 pages

Language

Hindi

Publisher

Manjul Publication

Publication date

1 January 2024

ISBN

9789355433879

Weight

0.71 Pound

Description

पहली पुस्तक सोच का घनत्व आप लोगों तक पहुँचा पाया । उस पर आपकी बेबाक टिप्पणियों से ज़ाहिर हुआ कि सभी सामाजिक सरोकारों पर कलमबद्ध आलेखों ने आपके ध्यान में जगह बनाई, आप लोगों से हुए संवाद में कुछ अनछुए को छूने के लिए भी मुझे कहा गया। इस बात का असर कलम चलते तक रहेगा। कोविड का वह काल; मृत्यु के भय, भ्रम, रोमांच, क्षोभ और रहस्यमयता के बीच अकेले और अपनों के साथ मिलकर जिजीविषा की स्थिरता और शक्ति के वास्तविक अनुभव का बोधिकाल रहा है। इसी समय में रहकर, दाम्पत्य के सन्दर्भ में 'प्रेम में वयस्कता' और 'वयस्कता में प्रेम' के बिखरे अर्थों ने 'प्रेम' के भावार्थ का एक नक्शा मन में बना दिया - भाव और विचार शब्दों का रूप लेते ही हैं। इन्हीं की अतिरंजना के परिमार्जन का स्वरूप मौन है। इसी भावार्थ के एक निजी पहलू का बखान मौनमुखी घुंघरू... अहा की ये 'पलभरियाँ' हैं जिनका सामाजिक सरोकार से भी रिश्ता है और अनछुए को छूने का रोमांच भी ।


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