भारतीय पत्रकारिता का इतिहास राष्ट्रीयता के भाव का संपोषक और स्वातंत्र्य-संघर्ष में संलग्नता के लिए उद्बोधक रहा है| स्वातंत्र्य-चेतना का जागरण अधिकतर पत्रकारों का ही अभियान था| स्वतंत्रता-प्राप्ति के लिए जब भी जहाँ-जहाँ आंदोलन हुए, उस संघर्ष में पत्रकारिता ही मर मिटने का केसरिया बाना पहनकर संग्राम में उतरी| इस मुक्ति-संघर्ष में कवियों, लेखकों, पत्रकारों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही, जिसे रेखांकित करना ही इस पुस्तक का उद्देश्य है| स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान हिंदी-भाषी पत्रों से पहले अहिंदी-भाषी पत्र सामने आए और उन्होंने न केवल अपना अप्रतिम योगदान दिया, बल्कि त्याग और कष्ट-सहन में भी वे आगे रहे| स्वामी दयानंद, श्यामसुंदर सेन, राजा राममोहन राय, पुलिन बिहारी दास, अरविंद घोष, लोकमान्य तिलक, अमृतलाल चक्रवर्ती, माधवराव सप्रे, महात्मा गांधी, रामरख सिंह सहगल, लाला जगतनारायण, प्रो. इंद्र वाचस्पति आदि नाम सुपरिचित हैं| इनके कार्य व त्याग का वर्णन पुस्तक में किया गया है| प्रस्तुत पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को उस युग की मिशनरी पत्रकारिता और प्रेरणास्पद लेखन से परिचित कराना है कि किस प्रकार तब सामान्य आकार के साधनहीन पत्र भी अपनी लिखित सामग्री से ताकतवर ब्रिटिश सत्ता से लोहा लेते थे और सत्ता उनसे काँपती थी| कैसे जन-नेताओं ने पत्रकारिता को जन-जन की आवाज बना दिया था और किस तरह जनमानस उन पत्र-पत्रिकाओं से आंदोलित होकर मरने-मारने पर उतारू हो जाता था| 'स्वाधीनता सेनानी लेखक-पत्रकार' पुस्तक श्रीमती व्होरा के इस कार्य-'महिलाएँ और स्वराज्य', 'क्रांतिकारी महिलाएँ', 'क्रांतिकारी किशोर', 'स्वतंत्रता सेनानी लेखिकाएँ' आदि पुस्तक-माला की अगली महत्त्वपूर्ण कड़ी है, जिसमें नई पीढ़ी न केवल स्वातंत्र्य समर के इतिहास की झलक पा सकेगी, बल्कि इससे देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा भी ग्रहण करेगी|
Swadheenta Senani Lekhak - Patrakar (स्वाधीनता सेनानी लेखक - पत्रकार)
Author: Asha Rani Vohra (आशारानी व्होरा)
Price:
₹
250.00
Condition: New
Isbn: 818826623X, 9789386001276
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,,
Publishing Date / Year: 2016
No of Pages: 260
Weight: 365 Gram
Total Price: ₹ 250.00
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