₹250.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
184 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2014
ISBN
9789380823713
Weight
340 Gram
दैनिक जीवन में अनेक उदाहरणों पर दृष्टि डालने से हमें अपने नैतिक बल का अंकन प्राप्त होगा| विचार, वाणी तथा कर्म में हम जितने अधिक काल अपने विवेक की अनुकूलता में बने रहने के अभ्यस्त होते जाएँगे, हमारी नैतिक शक्ति उसी के अनुरूप अधिक होती जाएगी| कुछ परिस्थितियाँ स्वयं हमारे जीवन में ऐसे अवसर लाती रहती हैं जिनके आधार पर अपनी नैतिक शक्ति का निरंतर मूल्यांकन किया जा सकता है| जैसे, विद्यार्थीकाल में हमने कल्पना की कि जीवन में बड़े-से-बड़ा प्रलोभन भी हमें सही काम करने से नहीं डिगा सकता| अब देखना होगा कि परीक्षाकाल में हमारी मनःस्थिति क्या रही? यदि किसी प्रकार की बेईमानी करने की इच्छा भी मन में उठती है तो स्पष्ट है कि बड़े-से-बड़ा प्रलोभन तो दूर, अभी तक हम छोटे प्रलोभनों पर भी विजय प्राप्त नहीं कर पाए हैं| ऐसी परिस्थिति में स्वीकार करना होगा कि हमारी नैतिक शक्ति का स्तर अभी नीचा ही है| -इसी पुस्तक से इस पुस्तक में जीवन को संस्कारवान बनाने और उसे सही दिशा में ले जाने के जिन सूत्रों की आवश्यकता है, उनका बहुत व्यावहारिक विश्लेषण किया है| लेखक के व्यापक अनुभव से निःसृत इस पुस्तक के विचार मौलिक और आसानी से समझ में आनेवाले हैं| जीवन को सफल व सार्थक बनाने की प्रैक्टिकल हैंडबुक है यह कृति|
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