₹250.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
200 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9788177212259
Weight
350 Gram
वैसा ही करते नेताजी हाथ जोड़ कातर स्वर में बोले, “हे आम आदमी! क्या तुम भूत हो?”
 “नहीं|”
 “देवी-देवता?”
 “पागल हो! भला देवी-देवता मेरे जैसे होते हैं!”
 “फिर क्या हो?”
 “बताया तो है-आम आदमी|”
 “मुझे डर लग रहा है| आप मेरा क्या करेंगे?”
 “क्या करेंगे, यह बाद में तय होगा, अभी तो गौर करें मेरे कहे पर|”
 “आज्ञा कीजिए|”
 “फाटक पर आए लोगों से मिलें| उनकी शिकायतों को फौरन दूर कराएँ| क्या करते हैं आप?”
 “सेवा|”
 “उसे त्यागें और आगे से सिर्फ काम करें| ठीक?”
 “ठीक| और कुछ?”
 -इसी पुस्तक से
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 आज भ्रष्टाचार के नित नए घोटाले और तरह-तरह के अनाचारों की बाढ़-सी आई हुई है| प्रस्तुत उपन्यास में समाज का विवश और आक्रांत स्वर मुखर हुआ है| मनोरंजन के साथ-साथ जनता की उदासीनता को तोड़नेवाली समस्यामूलक कृति|
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