हरीश नवल बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी हैं| वे पेशे से प्राध्यापक, संस्कारों से व्यंग्यकार, रुचि से पत्रकार और निष्ठा से सामाजिक कार्यकर्ता हैं| उन्हें साहित्य-संस्कार परिवार से विरासत में मिले हैं| उनकी शालीनता व शिष्टता उनके साहित्य व व्यक्तित्व का वैशिष्ट्य है, जो प्रस्तुत संकलन में भी देखने को मिलता है| शैलीपरक दृष्टि से जितनी विविधता हरीश नवल की व्यंग्य रचनाओं में है, उतनी समकालीन व्यंग्य-जगत् में अन्यत्र दुर्लभ है| इन्हें सर्वाधिक प्रिय है मुहावरा शैली| मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रचुर प्रयोग इनकी व्यंग्य भाषा को एक मौलिक भंगिमा देता है| लेखक ने पुराने मुहावरों को आधुनिकता में रूपांतरित कर उनकी व्यंग्यात्मक धार तेज कर दी है| नवल की व्यंग्य भाषा की विशिष्ट प्रवृत्ति है 'शब्द क्रीड़ा'| भिन्न स्रोतीय शब्दों का समन्वय कर नए प्रयोग उल्लेखनीय हैं| भाषा विषयक सर्वग्राह्यता ने इनकी व्यंग्य भाषा की व्यंजना शक्ति को सहज ही समृद्ध कर दिया है| अप्रस्तुत विधान के अंतर्गत उपमा, रूपक, अतिशयोक्ति, विरोधाभास, मानवीकरण, विशेषण-विपर्यय आदि के प्रयोग ने इनकी व्यंग्यभाषा के सौंदर्य को द्विगुणित कर दिया है| संश्लिष्ट बिंब विधान ने उनकी रचनाओं को सहज संप्रेष्णीयता से भर दिया है| ऐतिहासिक, पौराणिक, प्रतीक प्रयोगों ने व्यंग्यभाषा को सांकेतिकता एवं सूक्ष्मता प्रदान की है| आधुनिक व्यंग्यकारों में शैली की विविधता के जितने प्रयोग हरीश नवल ने किए हैं, उतने वर्तमान व्यंग्य साहित्य में नहीं हैं| शिष्ट भाषायुक्त विविध शैलियों में सूक्ष्म और सौम्य सृजन हरीश नवल के व्यंग्य साहित्य की नवलता है| -डॉ. मधुसूदन पाटिल
Mafia Zindabad (माफिया ज़िंदाबाद)
Author: Harish Naval (हरीश नवल)
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₹
400.00
Condition: New
Isbn: 9788177212273
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,Humor,
Publishing Date / Year: 2018
No of Pages: 160
Weight: 295 Gram
Total Price: ₹ 400.00
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