बच्चन जैसे भाव-प्रवण कवि समय के साथ अपनी कविताओं को अनेक रंगों में चित्रित करते हैं। 'जाल समेटा' की कविताएं उन्होंने 1960-70 के दशक में लिखी थीं। लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच कर जीवन की वास्तविकता के संबंध में उनके मन में अनेक भाव उठे। 'जाल समेटा' में उनकी इन भावनाओं को सजीव करती उत्कृष्ट कविताओं को पढि़ए। बच्चनजी के शब्दों में, 'मेरी कविता मोह से प्रारंभ हुई थी और मोह-भंग पर समाप्त हो गयी।'
Jaal Samaeta (जाल समेटा)
Price:
₹
85.00
Condition: New
Isbn: 9788170287988
Publisher: Rajpal and sons
Binding: Paperback
Language: Hindi
Genre: Novels & Short Stories,
Publishing Date / Year: 2009
No of Pages: 72
Weight: 100 Gram
Total Price: ₹ 85.00
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