₹160.00
MRPGenre
Spiritual, Novels & Short Stories
Print Length
160 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2015
ISBN
9788170287230
Weight
205 Gram
महान शिक्षक जे. कृष्णामूर्ति की वार्ताओं तथा लेखन से संकलित संक्षिप्त उद्धरणों का यह क्लासिक संग्रह ध्यान के संदर्भ में उनकी शिक्षा का सार प्रस्तुत करता है-अवधान यहि, होश की वह अवस्था जो विचार से परे है, जो समस्त द्वंद्व, भय व दुख से पूति: कुंती लाती है जिनसे मनुष्य-चेतना की अंतर्वस्तु निर्मित है । इस परिवद्धित संस्करण में मूल संकलन की अपेक्षा कृष्णमूर्ति के और अधिक वचन संगृहीत है, जिनमें कुछ अब तक अप्रकाशित सामग्री भी सम्मिलित हैl
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