Satya Aur Yatharth (सत्य और यथार्थ)

By J. Krishnamurti (जे. कृष्णमूर्ति)

Satya Aur Yatharth (सत्य और यथार्थ)

By J. Krishnamurti (जे. कृष्णमूर्ति)

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Specifications

Genre

Philosophy

Print Length

176 pages

Language

Hindi

Publisher

Rajpal and sons

Publication date

1 January 2015

ISBN

9789350642849

Weight

300 Gram

Description

"सत्य और वास्तविकता के बीच सम्बन्ध क्या है? वास्तविकता, जैसा कि हमने कहा था, वे सब वस्तुयें हैं जिन्हें विचार ने जमा किया है | वास्तविकता शब्द का मूल अर्थ वस्तुएं अथवा वस्तु है | और वस्तुओं के संसार में रहते हुए, जो कि वास्तविकता है, हम एक ऐसे संसार से सम्बन्ध कायम रखना चाहते हैं जो अ-वस्तु-है, 'नो थिंग' है-जो कि असम्भव है | हम यह कह रहे हैं कि चेतना, अपनी समस्त अंतरवस्तु सहित, समय कि वह हलचल है| इस हलचल में ही सारे मनुष्य प्राणी फंसे हैं | और जब वह मर जाते हैं, तब भी वह हलचल, वह गति जारी रहती है| ऐसा ही है; यह एक तथ्य है | और वह मनुष्य जो इसकी सफलता को देख लेता है यानी इस भय, इस सुखाकांषा और इस विपुल दुःख-दर्द का, जो उसने खुद पर लादा है तथा दूसरों के लिए पैदा किया है, इस सारी चीज़ का, और इस 'स्व', इस 'मैं' की प्रकृति एवं सरचना का, इस सबका संपूर्ण बोध उसे यथारथ: होता है तब वह उस प्रवाह से, उस धारा से बाहर होता है| और वही चेतना में आर-पार का पल है... चेतना में उत्परिवर्तन, 'mutation', समय का अंत है, जो कि उस 'मैं' का अंत है जिसका निर्माण समय के जरिये किया गया है | क्या यह उत्परिवर्तन वस्तुतः घटित हो सकता है ? या फिर , यह भी अन्य सिद्धांतो कि भांति एक सिद्धांत मात्र है? क्या कोई मनुष्य या आप, सचमुच इसे कर सकते है?" संवाद, वार्तायों एवँ प्रशनोत्तर के माध्यम से जीवन की सम्गरता पर जे. कृष्णमूर्ति के संग-साथ अतुल्य विमर्श...


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