कृष्ण एक ऐसा व्यक्तित्व हैं, जिन्हें आप 'विराट्' कह सकते हैं| 'महाभारत' में कृष्ण एक राजनीतिज्ञ के रूप में प्रकट होते हैं तो 'भागवत' में उनका दैवी स्वरूप दिखाई देता है| 'गीता' में वे गुरु हैं, ज्ञान का भंडार हैं| ईश्वर होते हुए भी उन्होंने मानव का ही जीवन जीया| वे एक ऐसे इनसान हैं, जिनका शरीर शायद यह दुनिया छोड़कर चला गया, परंतु आत्मा की प्रबलता, स्वच्छता या दिव्यता सर्वव्यापी बन गई| मृत्यु को देख चुके, अनुभव कर चुके कृष्ण जीवन के अंतिम क्षणों में जीवन की कुछ घटनाओं को फिर एक बार देखते हैं, उनकी अनुभूति करते हैं, उन्हें फिर जीते हैं| जीवन के अंतिम प्रयाण से पहले के कुछ क्षणों का एक सूक्ष्म पड़ाव है-'कृष्णायन'| प्रस्तुत पुस्तक में वह कृष्ण हैं, जिन्हें आप कॉफी की टेबल पर सामने देख सकते हैं| ये वह कृष्ण हैं, जो आपकी दैनिक चर्या में आपके साथ रहेंगे| ये कोई योगेश्वर, गिरधारी, पाञ्चजन्य फूँकनेवाले, गीता का उपदेश देनेवाले कृष्ण नहीं हैं| ये तो आपके साथ मॉर्निंग वॉक करते-करते आपको जीवन का दर्शन समझानेवाले आपके ऐसे मित्र हैं, जिन्हें आप कुछ भी कह सकते हो और वे वैल्यूशीट पर बैठे बिना आपको समझाने का प्रयास करेंगे| हमारा विश्वास है कि अगर आप कृष्ण को अपना मानोगे तो वे आपको इतना अपना लगेंगे कि आपको कभी किसी मित्र की, साथी की, किसी सलाहकार अथवा किसी के सहारे की खोज नहीं करनी पड़ेगी|
Krishnayan (कृष्णायन)
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₹
400.00
Condition: New
Isbn: 9788173158162
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,
Publishing Date / Year: 2016
No of Pages: 120
Weight: 325 Gram
Total Price: ₹ 400.00
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