₹165.00
MRPGenre
Print Length
240 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2012
ISBN
9788170284918
Weight
260 Gram
ग़ज़ल के इतिहास में जाने की ज़रूरत मैं महसूस नहीं करता। साहित्य की हर विधा अपनी बात और उसे कहने के ढब से, संस्कारों से फ़ौरन पहचानी जाती है। ग़ज़ल की तो यह ख़ासियत है। आप उर्दू जानें या न जानें, पर ग़ज़ल को जान भी लेते हैं और समझ भी लेते हैं। जब 13वीं सदी में, आज से सात सौ साल पहले हिन्दी खड़ी बोली के बाबा आदम अमीर खुसरो ने खड़ी बोली हिन्दी की ग़ज़ल लिखी: जब यार देखा नयन भर दिल की गई चिंता उतर, ऐसा नहीं कोई अजब राखे उसे समझाय कर। जब आँख से ओझल भया, तड़पन लगा मेरा जिया, हक्का इलाही क्या किया, आँसू चले भर लाय कर। तू तो हमारा यार है, तुझ पर हमारा प्यार है, तुझे दोस्ती बिसियार है इक शब मिलो तुम आय कर। जाना तलब तेरी करूं
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