₹199.00
MRPPrint Length
112 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2024
ISBN
9789389373943
Weight
192 Gram
प्र्रभात रंजन की रचनाओं में कथा तत्व की सम्पन्नता के साथ-साथ जीवन के क्रूर, जटिलतम और त्रास युक्त आख्यानों के लिए भी जीवंत आस्था और उल्लास है। शिल्प और सौष्ठव और भाषाई गहराई उनकी विशेषता है।’’
- सत्य व्यास
लोक और व्यंग्य के तुर्श-भीने रंगों में रंजित यह दिलचस्प उपन्यास, इसके चुटीले पात्र और कथा के पेच-ओ-ख़म आख़िरी पन्ने तक बाँध रखते हैं।’’
- अनुकृति उपाध्याय
आडंबर, हिप्पोक्रेसी, दोमुँहापन, ढोंग को उजागर करते हुए भी लेखक ने परिहास और व्यंग्य के अंतर पर नियंत्रण बरकरार रखा है। प्रभात बिहार के उस परिदृश्य को रच रहे हैं, जिसमें पूरे देश के बदलते स्वरूप की झलक आपको दिखेगी।’’
- यतीश कुमार
प्रभात रंजन : जन्म 3 नवम्बर, 1970 को बिहार के सीतामढ़ी ज़िले में।
‘उत्तर-आधुनिकतावाद और मनोहर श्याम जोशी के उपन्यास’ विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएच.डी.। तीन कहानी संग्रह प्रकाशित। मुज़फ़्फ़रपुर की तवायफ़ों के जीवन पर एकाग्र पुस्तक ‘कोठागोई’ विशेष चर्चित। अंग्रेज़ी से हिन्दी में 25 से अधिक पुस्तकों का अनुवाद। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘बहुवचन’ के सम्पादक और उसी विश्वविद्यालय की अंग्रेज़ी पत्रिका ‘हिन्दी’ के सहायक सम्पादक रहे, ‘आलोचना’ (त्रैमासिक) के संयुक्त सम्पादक और ‘जनसत्ता’ अख़बार में सहायक सम्पादक रहे। ‘सहारा समय कथा सम्मान’, ‘प्रेमचंद कथा सम्मान’, ‘कृष्ण बलदेव फ़ैलोशिप’, ‘द्वारका प्रसाद अग्रवाल उदीयमान लेखक पुरस्कार’। दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कालेज (सांध्य) में अध्यापन करते हैं। साथ ही Jankipul.com नामक प्रसिद्ध वेबसाइट के माडरेटर हैं।
0
out of 5