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Atmakatha (आत्मकथा)

Price: ₹ 500.00

Condition: New

Isbn: 9788173157486

Publisher: Prabhat Prakashan

Binding: Hardcover

Language: Hindi

Genre: Novels And Short Stories,

Publishing Date / Year: 2017

No of Pages: 327

Weight: 510 Gram

Total Price: 500.00

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इस आत्मकथा में हमें राजेंद्रबाबू के बाल्यकाल के बिहार के सामाजिक रीति-रिवाजों का, संकुचित प्रथाओं से होनेवाली हानियों का, उस समय के ग्राम-जीवन का, धार्मिक व्रतों, उत्सवों और त्योहारों का, उस जमाने के बच्चों के जीवन का और उस समय की शिक्षा की स्थिति का हू-ब-हू चित्र देखने को मिलता है| उस चित्र में सादगी और खानदानियत के साथ विनोद और खेद उत्पन्न करनेवाली परिस्थितियों का मिश्रण हुआ है| साथ ही आजकल हिंदुओं और मुसलमानों के बीच भेदभाव की जो खाई बढ़ी हुई नजर आती है, इसके अभाव का और दोनों जातियों के बीच शुद्ध स्नेह का जो चित्र इस आत्मकथा में है, वह आँखों को ठंडक पहुँचानेवाला होते हुए भी दुर्भाग्य से आज लुप्त होता जा रहा है| सन् 1905 में बंग-भंग के जमाने से ही राजेंद्रबाबू पर देशभक्ति का रंग चढ़ने लगा था| उसी समय से वह अपने जीवन में बराबर आगे ही बढ़ते गए| सन् 1917 में चंपारन की लड़ाई के समय उन्होंने गांधीजी के कदमों पर चलकर फकीरी धारण की| उसके बाद की उनकी आत्मकथा हमारे देश के पिछले तीस वर्षों के सार्वजनिक जीवन का इतिहास बन जाती है| स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जीवन और तात्कालिक जीवन-मूल्यों एवं रीति-नीति का आईना प्रस्तुत करती है उनकी आत्मकथा|