आजादी के पूर्व और उसके बाद के राजनीतिक परिवेशों में भारतीय पत्रकारिता ने अपनी पहचान और अस्मिता को किस रूप में स्थापित किया है, यह इस पुस्तक का मूल विषय है| लेखक ने औपनिवेशिक काल की पत्रकारिता के गुणात्मक पहलुओं को उजागर करते हुए यह स्थापित करने का प्रयास किया है कि भारतीय पत्रकारिता का उद्भव और विकास राष्ट्र की संप्रभुता, धर्म व संस्कृति तथा स्वतंत्रता की उत्कट भावनाओं से हुआ| पुस्तक में स्वतंत्र भारत में (1947 से 2005 के कालखंड में) राजनीतिक और पत्रकारिता के अंतर्संबंधों का गहन विश्लेषण किया गया है| राजनीति और पत्रकारिता दोनों ही स्वतंत्र चेतनाओं की अलग-अलग अभिव्यक्ति होते हुए भी परस्पर निर्भर हैं| इस निर्भरता की प्रकृति, स्वरूप और सीमाओं में समय-समय पर परिवर्तन होता रहा है| राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता, आर्थिक सुधारों जैसे प्रश्नों पर पत्रकारिता वैचारिक बहस का केवल उपकरण मात्र न होकर स्वयं भागीदार भी रही है| स्वतंत्र भारत के विभिन्न राजनीतिक कालखंडों में हुए संघर्षों, समन्वय, सहयोग और टकराव का शोधपरक लेखा-जोखा सुगम शैली में प्रस्तुत किया गया है| प्रस्तुत पुस्तक में परिवर्तन के दौर से गुजर रही पत्रकारिता के उन आयामों को सामने लाया गया है, जो इसके विकास और आत्मालोचन दोनों दृष्टिकोणों से महत्त्वपूर्ण हैं|
Rajneetik Patrakarita (राजनैतिक पत्रकारिता)
Author: Rakesh Sinha (अलोक पुराणिक)
Price:
₹
300.00
Condition: New
Isbn: 8173156409
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Other,
Publishing Date / Year: 2011
No of Pages: 254
Weight: 410 Gram
Total Price: ₹ 300.00
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