₹300.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
160 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
9788173156816
Weight
430 Gram
बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी श्री राम बक्षाणी की आत्मकथा पढ़कर अत्यंत आनंद का अनुभव होता है| निज-जीवन की कथा कहने का उनका ढंग अत्यंत निराला है| इसमें वह अनेक सिंधी परिवारों के इतिहास व भावनाओं का चित्रण करते हैं| बचपन के बेफिक्र दिनों से लेकर भारत के बँटवारे की भयावहता और विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करके सिंधी समुदाय की सफलताओं को समेटे उनकी गाथा पाठक की कल्पना को उद्दीप्त करती है| उनके अनुसार सफलता सिंधी समुदाय के लोगों का पर्याय बन चुकी है| ऊँची उड़ान की ओर में एशिया के दो सर्वाधिक उन्नत देशों-दुबई और जापान की विशेष चर्चा है| दुबई में 43 वर्षों से रह रहे श्री बक्षाणी ने इन दोनों प्रगतिशील देशों के उत्थान के इतिहास को दर्ज किया है| इस प्रयास में उन्होंने सिंधी समाज की उद्यमशीलता व रोमांच की भावना की समतुल्यता भी स्थापित की है| सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है कि श्री राम बक्षाणी एक पुत्र हैं, पति हैं, पिता हैं, और पितामह भी| उन्हें अपने जीवन से प्यार है, लेकिन वह जानते हैं कि अपने जीवन की यात्रा का अधिकांश भाग वह पूर्ण कर चुके हैं| अपनी उपलब्धियों का सिंहावलोकन करते हुए उनके दार्शनिक विचार वर्तमान को समृद्ध करते हैं और कल की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं| यही इस पुस्तक का सारतत्त्व है, जो पाठकों की कल्पना और कर्मठता को जाग्रत् करेगा|
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