“जीजी, ऊषा जीजी को गुजरे कितने दिन हुए होंगे?” वे चौंक-सी गई थीं| अचानक उनके चेहरे पर उदासी की एक घनी परत बिछ गई थी| बोलीं, “गुजरे तो दो साल हो रहे हैं दुलहन; लेकिन वे इतनी मनमोहक, इतनी समझदार और इतनी सबकी दुलारी थीं कि अब तक घर का हर व्यक्ति अनजाने जैसे उन्हें ही ढूँढ़ता रहता है|” दुलहन ने लक्ष्य किया कि उनकी आँखें भी आँसुओं का सोता बन रही हैं| भरे गले से बोलीं, “ऐसी निश्छल लड़की से भी किसी की दुश्मनी हो सकती है? कोई सोच सकता है भला?”“दुश्मनी? कैसी दुश्मनी, जीजी?” “हाँ दुलहन, वैसे तो हर एक की मौत विधाता के विधान से होती है, पर किसी की बद्दुआ सी गहरी चोट देती है, जो जिंदगी को सदा के लिए एक टीस बनाकर मौत की सुरंग भी बन जाती है|” दुलहन को बेहद आश्चर्य हुआ| वह तुरंत पूछ बैठी, “पर उन्हें बद्दुआ दी किसने?” -इसी संग्रह से सुप्रसिद्ध लेखिका वीरबाला वर्मा की ये कहानियाँ जीवन की परिस्थितियों की निर्ममताओं और विसंगतियों के बीच जीवन को सही तरीके से जी लेने की भरपूर तरकीबें सुझाती हैं| सभी कहानियाँ एक से एक बढ़कर हैं| भरपूर मनोरंजन के साथ जीवन की राह सुगम बनानेवाली मार्गदर्शक कहानियाँ|
Bas, Itani Si Roshni (बस, इतनीसी रोशनी)
Author: Veerbala Verma (वीरबाला वर्मा)
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₹
200.00
Condition: New
Isbn: 9789380183480
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,Children,
Publishing Date / Year: 2018
No of Pages: 144
Weight: 325 Gram
Total Price: ₹ 200.00
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