₹625.00
MRPGenre
Novels & Short Stories
Print Length
696 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2014
ISBN
9788170283973
Weight
150 Gram
उन्तीसचीं सदी से भारतवर्ष कुरीतियों का शिकार था और मिथ्या ज्ञान तथा मिथ्या कल्पनाओं के सादे अंधकार से आच्छादित था। महर्षि दयानन्द की कृपा से भारत पर सत्यार्थप्रकाश का प्रचण्ड' मार्तण्ड चमका । सत्यार्थप्रकाश सत्य का महासोत है, बहुमूल्य विचार-रलों का रत्नाकर है और तर्क का अक्षय भंडार है । परन्तु दुख यह है कि सत्यार्थप्रकाश का जितना स्वाध्याय होना चाहिए था, उतना अभी तक हुआ नहीं । युवावस्था और वृद्धावस्था के लोग सच्चाई के इतने भिखारी नहीं होते जितने कि बालक हुआ करते है । बालकों के नरम मस्तिष्को पर सत्यार्थप्रकाश का यदि प्रभाव पड सके तो भारत के महारोग की निवृत्ति की शीघ्र सम्भावना ही सकती है । आजकल बालको को सत्यार्थप्रकाश के उज्जवल प्रकाश से लाने की प्रवृति बढ़ रही है । परन्तु अभी तक सत्यार्थप्रकाश का कोई ऐसा समुचित लघु रूप प्रकाशित नहीं हुआ जो सत्यार्थप् ।
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