₹250.00
MRPGenre
Memoir & Biography, Pollitics & Current Affairs
Print Length
272 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2015
ISBN
9788170288695
Weight
295 Gram
यह आत्मकथा है शान्ति नोबेल पुरस्कार से सम्मानित परम पावन दलाई लामा की, जिनकी प्रतिष्ठा सारे संसार में है और जिसे तिब्बतवासी भगवान के समान पूजते है। 1938 में जब वे केवल दो वर्ष के थे तव उन्हें दलाई कामा के रूप में पहचाना गया। उन्हें घर और माता-पिता से दूर ल्हासा के एक मठ में ले जाया गया जडों कठोर अनुशासन और अकेलेपन में उनकी परवरिश हुई। सात वर्ष की छोटी उम्र से उन्हें तिब्बत का सबसे बडा धार्मिक नेता घोषित किया गया और जब वे पन्द्रह वर्ष के थे उन्हें तिब्बत का सर्वोच्च राजनीतिक पद दिया गया। एक प्रखर चिंतक, विचारक और आज के वैज्ञानिक युग मेँ सत्य छोर न्याय का पक्ष लेने वाले धर्मगुरू की तरह दलाई लामा को देश-विदेश में सम्मान मिलता। यह आत्मकथा है दश निकाला पाने वाले एक निवासित शांतिमय योद्धा के संघर्ष की जिसके प्रत्येक पृष्ठ पर उनक गंभीर चिंतन की झलक मिलती है
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