₹300.00
MRPGenre
Novels & Short Stories, Memoir & Biography
Print Length
328 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2012
ISBN
9788170281665
Weight
460 Gram
सिखों के दसवे गुरू गोविन्द सिंह के आदर्शपूर्ण जीवन और उनकी वीरता, धीस्ता तथा संघर्ष की रोमहर्षक अमरगाथा उपन्यास के रूप मे। गुरु के बहुआयामी व्यक्तित्व का चित्रात्मक विवरण जिसमे औपन्यासिकता और इतिहास की प्रामाणिकता दोनों का मनोहर संगम मिलता है-सम्मोहक और प्रवाहपूर्ण शैली से यह उपन्यास लेखक की पूर्व कृति 'का के लागू पाव' की दूसरी तथा अंतिम कडी है। ये दोनों उपन्यास अपने में स्वतंत्र है जहां 'का के लागू पाव' में उनकी नौ वर्ष तक की आयु की क्या थी l वही इसमे उससे आगे की गाथा है, निर्वाण तक की। उपन्यास प्रारम्भ से लेकर अंत तक पाठक के मन को अपनी मोहनी में बांधे रखता है हे। भगवतीशरण मिश्र की नवीनतम औपन्यासिक कृति।
0
out of 5