₹275.00
MRPGenre
Novels & Short Stories, Memoir & Biography
Print Length
72 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2010
ISBN
9788170287827
Weight
222 Gram
बच्चन जैसे भाव-प्रवण कवि समय के साथ अपनी कविताओं को अनेक रंगों में चित्रित करते हैं। ‘जाल समेटा’ की कविताएं उन्होंने 1960-70 के दशक में लिखी थीं। लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच कर जीवन की वास्तविकता के संबंध में उनके मन में अनेक भाव उठे। ‘जाल समेटा’ में उनकी इन भावनाओं को सजीव करती उत्कृष्ट कविताओं को पढ़िए। बच्चनजी के शब्दों में, ‘‘मेरी कविता मोह से प्रारंभ हुई थी और मोह-भंग पर समाप्त हो गयी।’’
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