ममता बनर्जी को राष्ट्रीय लोकप्रसिद्धि उस समय अचानक मिली, जब जाधवपुर संसदीय क्षेत्र में कद्दावर मार्क्सवादी नेता सोमनाथ चटर्जी को हराकर उन्होंने संसदीय राजनीति में पदार्पण किया| यह सन् 1984 की बात है| जाधवपुर को साम्यवादी गढ़ माना जाता था| युवा ममता बनर्जी ने तुरंत ही अपनी ईमानदारी, साधारण जीवन-शैली और शासक दल की ज्यादतियों से लड़ने के उत्साह के कारण सबका ध्यान आकर्षित कर लिया| लोकसभा में उनकी ऊर्जावान उपस्थिति, सी.पी.एम. के दुष्कर्मों के विरुद्ध चुनौतीपूर्ण विरोध और सबसे बढ़कर अपने राज्य के हित के लिए किए गए अनवरत प्रयास प्रशंसनीय हैं| ममता बनर्जी पं. बंगाल की प्रथम महिला मुख्यमंत्री हैं| वे अपने में ही सिमटकर रहनेवाली नहीं हैं| वे आज भी उन लोगों की नेता हैं, जिनकी बातें सुनी नहीं जातीं, जिन्हें नजरअंदाजकिया जाता है| वे धूल से भरे और पसीने व आँसुओं से सराबोर लोगों की मसीहा हैं| 'माँ, माटी, मानुष'- उनका जीवन-दर्शन है, यही उनके कार्य के केंद्रबिंदु हैं और यही उनकी राजनीतिक यात्रा के उत्प्रेरक| आज भी उन्होंने स्वयं को अपने उद्देश्य से अलग नहीं किया है| उनका आम आदमी का स्पर्श लोगों को 'परिवर्तन' दिखाते हुए आश्वासन का वादा करता है| सतत परिश्रम, ध्येयनिष्ठा और समर्पित सादगीपूर्ण जीवन की मिसाल, ममता बनर्जी की प्रेरणाप्रद आत्मकथा|
Meri Sangharshpoorna Yatra (मेरी संघर्षपूर्ण यात्रा)
Author: Mamata Banerjee (ममता बेनर्जी)
Price:
₹
250.00
Condition: New
Isbn: 9789350482872
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,Current Affairas And Pollitics,
Publishing Date / Year: 2016
No of Pages: 200
Weight: 410 Gram
Total Price: ₹ 250.00
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